सुकमा : मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के टीबी रोग से उभर रही आशा

टीबी दुर्लभ बीमारी नहीं, जागरूक होकर कराएं नियमित उपचार

आमजनो की मंशा रही है कि जिले में ही समस्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिले। वहीं जिले के प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं सहित समस्त जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा भरसक प्रयास किया जा रहा हैं। वहीं प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में छत्तीसगढ़ शासन कटिबद्ध है । जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं से लाभान्वित कुम्हाररास सुकमा निवासी श्रीमती आशा भलावी अब मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों की टीबी रोग से उभर रही है। टीबी के दवाओं का नियमित सेवन करके 15 से 20 दिनों में बेहतर स्वास्थ्य परिणाम पाया है। आगामी माह अक्टूबर 2023 तक दवाओं का नियमित सेवन करके टीबी रोग से पूरी तरह स्वस्थ होने की उन्हें पूरी आशा है।

आशा भलावी ने बताया कि माह अक्टूबर 2020 से 15-20 दिनों के अंतराल में ठंडी, बुखार की शिकायत हुई, जिसका उन्होंने पारिवारिक डॉक्टर से जांच उपरांत टाइफाइड शिकायत पर नियमित दवाओं का सेवन किया। साथ ही जगदलपुर, महासमुंद सहित अन्य चिकित्सकों के पास रूटीन जांच भी कराया, जिसमें कैल्शियम, खून की कमी और टाइफाइड के लक्षण होने पर बीमारी से संबंधित दवा लेकर सेवन किया, परिजनों के सलाह पर बैगा गुनिया का सहारा लेने के बावजूद भी आशा को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। आशा के स्वास्थ्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं दिखा और दिनों दिन हालात और भी गंभीर होने लगी जिसके वजह से नींद की कमी, भूख की कमी, खून की कमी, कमजोरी, खून की उल्टियां, वजन में गिरावट, चेहरे पर झुर्रियां, चलने, उठने-बैठने जैसी कई प्रकार की समस्या हुई।

दो साल तक नियमित दवाओं के सेवन और बिस्तर में पड़ी आशा बीमारियों के दर्द से तंग आकर पारिवारिक चिकित्सक की सलाह ली और तेलंगाना के खम्मम अस्पताल में उपचार कराने पहुंची, जहां एमआरआई के रिपोर्ट से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों में टीबी होने की पुष्टि हुई। दो अलग-अलग जगहों में टीबी की बीमारी पाकर आशा के सामने शारिरीक, मानसिक, आर्थिक परेशानियों के साथ बच्चों की परवरिश, घर की जिम्मेदारी सहित कई समस्या सामने उठ खड़ी हुई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बीमारी से लड़ने की हौसला जुटाई रखीं। इसके बाद उन्होंने करीबियों के सलाह पर जिला अस्पताल में टीबी का इलाज कराने पहुंची, जहां चिकित्सक के परामर्श पर जिला टीबी समन्वयक जयनारायण सिंह ने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देकर बीमारी से संबंधित सभी दवाओं का नियमित सेवन के साथ ही जल्द स्वस्थ होने का भरोसा दिलाया। माह मई 2022 से दवाओं के नियमित सेवन से आशा को 15-20 दिन में ही मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों की परेशानी कम होने लगी। साथ ही एक साल के भीतर 18 किलो शारीरिक वजन बढ़ने के साथ ही तंदुरुस्ती का भी आभास किया। स्वयं को दर्पण में देखकर आशा ने पाया कि चेहरे पर आयीं झुर्रियां भी अब गायब होने लगी है। टीबी रोग से तेजी से उभर रही आशा के चेहरे पर मुस्कान और आंखों पर खुशी की मोती की झलक साफ दिख रही थी। अब आशा टीबी रोग की परेशानियों से छुटकारा पाकर परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही हैं, उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य कर्मचारियों का आभार प्रकट किया।

अक्टूबर 2023 तक चलेगी टीबी की दवाई, मिला योजना का लाभ
लंबे समय से बीमारी का दंश झेल चुकी आशा ने बताया कि दो अलग-अलग जगह पर टीबी बीमारी का नाम सुनकर घबराहट हो गई और कई सारी परेशानियां भी बढ़ी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। करीबियों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के हौसला अफजाई से बीमारी के उन्मूलन के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति बढ़ी, दवाई के नियमित सेवन बीमारी का प्रकोप कम हुआ और 15 दिवस में ही स्वास्थ्य पर बेहतर परिवर्तन हुआ है। उन्होंने बताया कि मई 2022 से प्रारंभ इस दवाई को अक्टूबर 2023 तक नियमित सेवन से टीबी रोग से पूरी तरह स्वस्थ हो जाऊंगी। इस बीमारी के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत प्रतिमाह 500 रुपये की दर से प्रदान की जाने वाली राशि को सीधे बैंक खाता में ट्रांसफर करके लाभान्वित भी किया गया।

आमजनों को टीबी रोग के प्रति किया जागरूक
आशा ने आमजनों को भी प्रेरित करते हुए कहा कि टीबी कोई दुर्लभ बीमारी नहीं है इससे घबराने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज संभव हैं। समय पर उपचार कराएं, अनदेखा करने पर यह बीमारी और भी विकराल रूप धारण कर सकती है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर हवा के जरिए फैलने वाली बीमारी है, इस बीमारी के रोकथाम के लिए सर्वप्रथम जागरूकता के साथ सावधानी बरतनी होगी तभी इस बीमारी के कड़ी को तोड़ा जा सकता है। साथ ही इसके रोकथाम के लिए सभी सरकारी अस्पताल में इस बीमारी का जांच और उपचार नि:शुल्क मुहैया कराई जाती है।

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