सरकारी दफ्तरों के तस्वीर के बाद अब प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में लगेगी ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की प्रतिमा

छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी कार्यालयों में छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो लगाने के बाद अब भूपेश बघेल सरकार प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की प्रतिमाएं लगाने की योजना बना रही है।

छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी कार्यालयों में छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो लगाने के बाद अब भूपेश बघेल सरकार प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की प्रतिमाएं लगाने की योजना बना रही है। दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य को माता का दर्जा देते हुए छत्तीसगढ़ महतारी से संबोधित किया जाता है। ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ को माँ का स्वरूप दिया गया है। पारंपरिक रूप से हरे रंग की साड़ी पहने और हाथों में धान-हंसिया लिए दर्शाया गया है। पिछले महीने, प्रदेश सरकार ने राज्य में सभी सरकारी कार्यक्रमों में ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ के चित्र को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्णय लिया था।

सीएम भूपेश बघेल हमेशा कहते हैं कि ‘छत्तीसगढ़ का वैभव, संपन्नता हमारे किसानों से है। उनकी खुशहाली में छत्तीसगढ़ महतारी का ही आशीर्वाद है। छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र को सभी शासकीय कार्यक्रमों में प्रमुखता से स्थान देने का निर्णय लिया, जिससे हमें हमारी माटी के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति का स्मरण हो सके।’ छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि “छत्तीसगढ़ महतारी” की प्रतिमा के निर्माण का उद्देश्य राज्य के लोगों में क्षेत्रीय गौरव की भावना पैदा करना है। अगले कुछ महीनों में सभी जिला मुख्यालयों पर प्रतिमा लगाने की योजना है।

‘अरपा पैरी के धार’ को दिया राज गीत का दर्जा
बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य को माता का दर्जा देते हुए इसे छत्तीसगढ़ महतारी से संबोधित किया जाता है। छत्तीसगढ़ महतारी का एक मंदिर भी धमतरी जिले के कुरूद में स्थित है। सीएम भूपेश बघेल हमेशा से ही स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने की पहल करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ी अस्मिता को बनाए रखने और लोगों को उससे जोड़े रखने की उनकी पॉलिटिकल लाइन रही है। इससे पहले उन्होंने ‘अरपा पैरी के धार’ गीत को राज गीत का दर्जा दिया था। अब हर शासकीय आयोजन में इसे गाया जाता है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ी संस्कृति को उभारने और बढ़ावा देने हमेशा तत्पर रहे हैं। स्थानीय महत्व के दिवसों या त्योहारों पर सरकारी छुट्टी भी दी जाती है। 1 मई मजदूर दिवस के दिन छत्तीसगढ़ बोरे-बासी खाकर श्रम का सम्मान भी काफी ट्रेंड हुआ था।

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