‘जल, जंगल, ज़मीन’ के लिए मरने को तैयार, छत्तीसगढ़ के हसदेव ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र ने परसा कोयला ब्लॉक को मंजूरी दी

4 से 13 अक्टूबर के बीच छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने जंगलों में कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ राज्य की राजधानी रायपुर तक 300 किलोमीटर की दूरी तय की और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर उन्हें रद्द करने की मांग की. 10 दिनों से भी कम समय में, 21 अक्टूबर को, केंद्र ने ओपन-कास्ट खनन परियोजना के लिए समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्र में परसा कोयला ब्लॉक को चरण- II वन मंजूरी दे दी।

एक दशक से अधिक समय से हसदेव आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संगठन छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के कार्यकर्ताओं ने सरकार के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि चूंकि प्रथम चरण की वन मंजूरी “फर्जी” ग्राम सभा सहमति दस्तावेजों पर आधारित थी।

छत्तीसगढ़ सरकार को लिखे पत्र में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा -2 के तहत 841.538 हेक्टेयर के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अंतिम मंजूरी दी गई है। सरगुजा और सूरजपुर जिलों में परसा ओपन कास्ट कोल माइनिंग प्रोजेक्ट के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पक्ष में जमीन दी गई है।

 

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