संसद में श्रीलंका के राष्ट्रपति बोले- सबसे मुश्किल समय में भारत ने बचा लिया

विक्रमसिंघे ने कहा कि हमारा देश अपने इतिहास के सबसे मुश्किल समय से गुजर रहा है। इस दौर में भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो जीवन रक्षक सांसें दी हैं, इसके उनका शुक्रिया अदा करते हैं।

पिछले काफी समय से गंभीर संकट से गुजर रहे श्रीलंका में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। श्रीलंका के इन मुश्किल दिनों में भारत ने काफी मदद की है और इसके बारे में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने संसद में भी बात रखी है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे उनके श्रीलंका को समय पर आर्थिक मदद देने के लिए भारत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने सबसे मुश्किल समय में बचा लिया है।

दरअसल, संसद के नए सत्र को संबोधित कते हुए कहा श्रीलंका के राष्ट्रपति राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि आर्थिक संकट से उबरने के हमारे प्रयासों के लिए हमारे निकटतम पड़ोसी देश भारत द्वारा मुहैया कराई गई मदद का विशेष रूप से जिक्र करना चाहता हूं। सबसे मुश्किल समय में साथ देने के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया है। भारत से जो मदद मिली, वो बेमिसाल है। भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है।

उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त जब हम फिर से अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं तो भारत हमारे साथ है। विक्रमसिंघे ने कहा कि हमारा देश अपने इतिहास के सबसे मुश्किल समय से गुजर रहा है। इस दौर में भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो जीवन रक्षक सांसें दी हैं, इसके लिए हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं।

वहीं हाल ही में जब विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो मोदी ने उन्हें फोन पर बधाई दी थी। पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे खुशी है कि श्रीलंका मुश्किलों के बावजूद लोकतंत्र के रास्ते से डिगा नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से अब तक भारत सरकार श्रीलंका को करीब 4 अरब डॉलर की मदद दे चुकी है। इसमें फ्यूल, कैश रिजर्व और फूड आयटम्स शामिल हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक, 6 महीने की जरूरतों के लिए श्रीलंकाई सरकार को अब भी 5 अरब डॉलर की दरकार है। 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले श्रीलंका में अब हालात शांति की तरफ बढ़ रहे हैं। उधर हाल ही में विक्रमसिंघे ने कहा था कि देश में अभी हालात ऐसे नहीं हैं कि गोटबाया राजपक्षे लौटें। पूर्व राष्ट्रपति अगर श्रीलंका लौटते हैं तो यह तय है कि विरोध प्रदर्शन एक बार फिर भड़क जाएंगे।

बता दें कि श्रीलंका की नई सरकार के सामने देश को आर्थिक संकट से उबारने और व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है। श्रीलंका में आर्थिक संकट के मद्देनजर विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर जाना पड़ा था और इस्तीफा देना पड़ा था।

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