योगी के मंत्री दिनेश खटीक का इस्तीफा अमित शाह को- बस कार मिलना राज्यमंत्री का अधिकार है क्या

योगी आदित्‍यनाथ सरकार के मंत्री दिनेश खटीक के ‘इस्‍तीफे’ को लेकर सुबह से लखनऊ में हलचल मची है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे उनके कथित इस्‍तीफे की एक कॉपी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है।

योगी आदित्‍यनाथ सरकार के जल शक्ति राज्‍यमंत्री दिनेश खटीक के इस्‍तीफे की चर्चा सुबह से लखनऊ में गर्म है। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह को लिखी दिनेश खटीक के इस्तीफे की चिट्ठी वायरल हुई है जिसकी पुष्टि हिन्दुस्तान नहीं करता लेकिन उसमें खटीक की ओर से अपने विभाग के अफसरों पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। दिनेश खटिक ने सवाल उठाया है कि क्‍या बस कार मिलना ही राज्‍यमंत्री का अधिकार है?

इस कथित इस्‍तीफे में उन्‍होंने खुद के दलित होने का मुद्दा भी उठाया है। उन्‍होंने लिखा है कि जलशक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनके किसी भी आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। न ही उन्‍हें सूचना दी जाती है कि विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं और उन पर क्या कार्यवाही हो रही है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अफसर दलितों को अपमान कर रहे हैं। उन्‍होंने सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव अनिल गर्ग को एक मामले को लेकर फोन किया पर उन्‍होंने बात सुने बगैर फोन काट दिया। वह दलित जाति के मंत्री हैं, इसलिए विभाग में उनके साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है।

दिनेश खटीक ने लिखा कि सम्बंधित विभाग के अधिकारी राज्य मंत्री को केवल विभाग द्वारा गाड़ी उपलब्ध करा देना ही राज्य मंत्री का अधिकार समझते हैं। इतने से ही राज्य मंत्री के कर्त्तव्यों का निर्वहन हो जाना समझते हैं।

इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। उन्‍होंने लिखा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टारलेस नीति को ध्यान में रखते हुये मेरे संज्ञान में आने पर इस विभाग में स्थानांतरण सत्र 2022-23 में किये गये अधिकारियों के स्थानांतरण से सम्बंधित सूचना मैंने लिखित रूप से मांगी लेकिन आज तक मुझे सूचना नहीं दी गई।

कई दिनों के बाद मैंने विभागाध्यक्ष से फोन पर बात करके सूचना के लिए कहा तब भी उन्होंने आज तक सूचना उपलब्ध नहीं कराई है। मैंने प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग को उक्त स्थिति से अवगत कराना चाहा तो उन्होंने बिना मेरी पूरी बात सुन ही टेलीफोन काट दिया। उन्‍होंने भी मेरी बात को अनुसना कर दिया जो एक जनप्रतिनिधि का बहुत बड़ा अपमान है।

मैं एक दलित जाति का मंत्री हूं इसीलिए इस विभाग में मेरे साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है। दिनेश खटीक ने लिखा कि मुझे विभाग में अभी तक कोई अधिकार नहीं दिया गया है इसलिये मेरे पत्रों का जवाब नहीं दिया जाता है। मेरे द्वारा लिखे गये पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

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