क्या एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे पर मिली बढ़त? सुप्रीम कोर्ट से ‘रक्षा कवच’ और जनता का भी समर्थन

शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता 12 जुलाई तक अक्षुण्ण रहेगी और उनका मत विश्वास मत की स्थिति में मायने रखेगा। साफ है कि एकनाथ शिंदे गुट को अगले 15 दिनों के लिए बड़ा रक्षा कवच मिल गया है।

गुवाहाटी में बैठे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से रक्षा कवच मिल गया है। अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान बागी गुट के 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने के नोटिस पर 12 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। साफ है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके अलावा शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता 11 जुलाई तक अक्षुण्ण रहेगी और उनका मत विश्वास मत की स्थिति में मायने रखेगा। साफ है कि एकनाथ शिंदे गुट को अगले 15 दिनों के लिए बड़ा रक्षा कवच मिल गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ गुट के विधायकों को डिप्टी स्पीकर की ओर से नोटिस जारी करने पर भी सवाल उठाया है। साफ है कि एकनाथ शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत लेकर आया है और उसका असर आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में भी देखने को मिल सकता है। यदि महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो ये विधायक अघाड़ी का खेल बिगाड़ सकते हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई से जो परिणाम निकला है, उसे उद्धव ठाकरे के लिए मायूसी भरा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। यही नहीं एकनाथ शिंदे गुट जमीन पर भी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि संजय राउत लगातार उन्हें गुवाहाटी छोड़ चौपाटी आने की चुनौती दे रहे हैं।

एकनाथ शिंदे के बेटे ने ठाणे में की रैली, राउत पर हमला

एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत ने आज ही ठाणे में एक रैली भी की है। इस दौरान शिंदे के समर्थक पहुंचे और संजय राउत का पुतला तक फूंका गया। बता दें कि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। शिंदे के बेटे ने यह रैली अपने घर के पास नहीं की बल्कि ठाणे में शिवसेना के दफ्तर के पास ही की। हालांकि यह रैली बहुत बड़ी नहीं रही, जितना कि दावा किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 200 लोग ही यहां पहुंचे, लेकिन एक संदेश जरूर देने का प्रयास किया गया। इस रैली के दौरान श्रीकांत शिंदे ने कहा, ‘संजय राउत की बातें हमारे लिए मायने नहीं रखती हैं। वह हमेशा फिल्मी कहानियां बनाते रहते हैं। हम यहां आनंद दीघे को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे हैं और हमें पूरे ठाणे जिले का समर्थन हासिल है।’

डिप्टी स्पीकर की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों उठाया सवाल

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे की अर्जी पर सुनवाई करते हुए डिप्टी स्पीकर की मंशा पर ही सवाल खड़ा किया। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अपने खिलाफ दायर अर्जी पर कैसे डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए। इस पर डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि उनके खिलाफ जो नोटिस आया था, वह अनवेरिफाइड ईमेल से भेजा गया था।

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