काली वर्दी में ‘लाल सलाम’ का नारा, लूटपाट के बाद गांव वाले बोले- नकली नक्सली थे; पुलिस कर रही छानबीन
यह लोग घरवालों से गांव के सचिव का पता भी पूछ रहे थे। जब सरपंच को दूसरे गांव में भी इसी तरह की वारदात की जानकारी मिली तब गांव वालों के बीच इन दोनों घटनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई।
तो क्या अब नकली नक्सली भी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए हैं? छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित गांव में लूटपाट की हुई वारदातों के बाद यह सवाल अब काफी अहम हो चुका है। गांव वालों का कहना है कि लुटेरे काली वर्दी में थे लेकिन वो नकली नक्सली थे। अब पुलिस इन लूटपाट की घटनाओं और फर्जी नक्सलियों को लेकर अपनी गहन छानबीन कर रही है।
दरअसल कुछ दिनों पहले कुआकोंडा थाना क्षेत्र के मखपाल गांव के सरपंच विनोदी सोरी के घर में रात के वक्त लूटपाट की वारदात हुई थी। उस दिन सरपंच घर में नहीं थे और उनकी पत्नी घर में मौजूद थीं। बताया जा रहा है कि करीब 10-15 नकाबपोश लोग काली वर्दी पहन कर घर में घुसे थे। इनके पास धारदार हथियार था। इन लोगों ने सरपंच की पत्नी को पहले धमकाया और फिर अलमारी में रखे पैसे निकाल कर फरार हो गये। इस दौरान यह लोग लगातार लाल सलाम के नारे लगा रहे थे। लुटेरों ने सरपंच की पत्नी को धमकाया भी था, लिहाजा सरपंच ने यह बात पुलिस को नहीं बताई।
लेकिन नक्सल प्रभावित हल्बारास गांव में भी रात के वक्त एक ऐसी ही घटना हुई। इस गांव के एक घर में भी काली वर्दी पहने 10-15 लोग घुसे थे और उन्होंने जमकर लूटपाट मचाई थी। यह लोग घरवालों से गांव के सचिव का पता भी पूछ रहे थे। जब सरपंच को दूसरे गांव में भी इसी तरह की वारदात की जानकारी मिली तब गांव वालों के बीच इन दोनों घटनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई।
एक जैसी लूट की वारदात के बाद गांव वालों को शक है कि घटना को अंजाम देने वाले नकली नक्सली थे। मोखपाल के सरपंच विनोद सोरी ने कुआकोंडा थाने को इसके बारे में जानकारी भी दी है। हालांकि, पुलिस के बुलाने पर सरपंच थाने में नहीं गए थे। इधर हल्बारास गांव से भी किसी ने पुलिस के पास लिखित शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। लेकिन अब पुलिस ने इस तरह की सूचना मिलने के बाद अपनी तरफ से जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।