Power Crisis: आखिर बार-बार क्यों गुल हो जाती है बत्ती, क्या कोयला ही सिर्फ एक वजह है? जानें पूरी डीटेल

देश के कई राज्य इन दिनों बिजली संकट झेल रहे हैं। कोविड के बाद इकॉनमी की तेज तरक्की के लिए फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन बढ़े, खेतों में सिंचाई हो, इसके लिए बिजली जरूरी है। लेकिन मौजूदा स्थिति आगे चलकर बड़े संकट के संकेत दे रही है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में बिजली संकट के गहराने की क्या वजह है और इसका कोई हल है या नहीं, इस पर गहराई से नजर डालते हैं।

कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की यह स्थिति बनी है। देश में ज्यादा बिजली कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स से ही बनाई जाती है। ऐसे पावर प्लांट्स की बिजली बनाने की क्षमता फिलहाल 204080 मेगावॉट है। यह कुल बिजली उत्पादन का 51.1 प्रतिशत है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कोयले से चलने वाले 150 पावर प्लांटों में से 81 में कोयले की कमी है। राजस्थान के सभी 7 थर्मल प्लांटों में यही हाल है। यूपी के 4 सरकारी थर्मल प्लांटों में से 3 में कोयले की कमी है। इन दोनों राज्यों में बड़े स्तर पर बिजली कटौती हो रही है। पावर प्लांट में कोयले की कमी होने की एक वहजह ये है कि रूस-यूक्रेन जंग की वजह से कोयले के दाम में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सरकार ने रूस और दूसरे देशों से कोयले की आपूर्ति कम की है, जिसके चलते इस साल कोयले के कुल आयात में लगभग 15% की कमी हुई है। गैस की कीमतों में बढ़ोतरी को भी बिजली की किल्लत के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है।

हाइड्रो पावर यानी पानी से तैयार होने वाली बिजली में भी कमी आई है। नदियों में पहाड़ों से आने वाले पानी में कमी की वजह से इन दिनों हाइड्रो पावर प्लांट अपनी क्षमता से महज 30% से 40% ही बिजली पैदा कर पाते हैं। एक और वजह मौसम है। पिछले साल के मुकाबले इस बारे गर्मियों ने जल्दी डेरा डाल दिया। बिजली की जो मांग मई-जून में होती थी, इस बार वो अप्रैल की शुरुआत में ही होने लगी। पावर मिनिस्ट्री के मुताबिक, 26 अप्रैल को बिजली की मांग 201.066 गीगावॉट रही, जबकि गुरुवार तक यह 204.653 गीगावॉट पर पहुंच गई। पिछले साल सबसे ज्यादा डिमांड 200.53 गीगावॉट रही। मंत्रालय का कहना है कि मई-जून में मांग 215 से 216 गीगावॉट तक पहुंच सकती है।

बिजली के संकट के कारण हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों में लोगों को लंबे कटौती झेलनी पड़ रही है। आम तौर पर 8-10 घंटों तक बिजली गुल है। इससे उद्योग भी प्रभावित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर के शबीर ने बताया कि घाटी में सिर्फ चार घंटे ही बिजली मिल पा रही है। ग्रामीण इलाकों में लोग फोन तक चार्ज नहीं कर पा रहे हैं। बिजली कटौती की वजह से पानी की भी कमी हो गई है। चूंकि रमजान चल रहे हैं तो सहरी और इफ्तारी भी मोमबत्ती की रोशनी में करनी पड़ रही है।

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल में बिजली की कमी 0.3% से बढ़कर 1% हो गई है। बिजली की औसत खरीद कीमत 13 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इस वक्त बिजली की औसत खरीद कीमत 8.23 रुपये प्रति किलोवाट आवर है, जो मार्च 2021 की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा है। ऐसे में मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में बिजली कंपनियों ने दाम बढ़ने के संकेत दिए हैं। छत्तीसगढ़ ने बिजली की कीमतों में 15 पैसे की वृद्धि की है।

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