कवर्धा : ग्रामीण आबादी भूमि की सीमांकन करने स्वामित्व योजना शुरू

कबीरधाम जिले को भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत पायलेट प्राजेक्ट के रूप में चयन किया गया है। इस योजना के तहत जिले के ग्रामीण आबादी क्षेत्र का सीमांकन शुरू हो गया है। इसके लिए केन्द्र से दस सदस्यीय टीम पहुंच गई है। सर्वे का कार्य अत्याधुनिक ड्रोन कैमरे से की जा रही है। कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा के निर्देश ग्रामीण आबादी के सर्वे के लिए राजस्व और पंचायत एवं ग्रामीण विकास की बनाई गई, जो केन्द्रीय टीम की मदद करेगी। स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन के लिए तहसीलदार,नयाब तहसीलदार, आरआई और पटवारियों और पंचायत की टीम की विशेष ड्यूटी भी लगाई गई है।

कलेक्ट श्री रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण आबादी सर्वे के लिए प्रारंभिक स्तर पर जिले के कवर्धा और बोडला तहसील का प्रांरभिक चरण में चयन किया गया है। इसके लिए केन्द्र से टीम जिले में पहुंच गई हैं। अत्याधुनिक ड्रोन से ग्रामीण आबादी भूमि का सर्वे किया जा रहा है। टीम की मदद के लिए राजस्व विभाग के स्थानीय टीम की ड्युटी लगाई गई है। कवर्धा तहसील के 184 ग्राम और बोडला- रेगाखार तहसील के 257 ग्राम का ड्रोन सर्वे के माध्यम से नक्शा चिन्हांकन का कार्य किया जा रहा है। ड्रोन सर्वे के लिए सबसे पहले आबादी क्षेत्रों को चुना से चिन्हांकित किया जाता है, इसके बाद ड्रोन से सर्वे की जा रही है। कवर्धा तहसील के चार ग्राम भागूटोला, चिमागोंदी, मुडघुसरी एवं झलका का ड्रोन सर्वे किया गया है। ड्रोन सर्वे के बाद ग्रामीण आबादी भूमि का डिजिटल प्रारूप में नक्शा तैयार किया जाएगा। प्रारूप नक्शे के भू-खण्ड डाटा के साथ समग्र डाटा का उपयोग कर ई-अधिकार अभिलेख तैयार किया जाएगा।

भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि पर निवासरत व्यक्तियों को भूमि स्वामी हक प्रदान करने के लिए स्वामित्व योजना प्रारंभ की गई है। स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वे के माध्यम से आबादी भूमि का संपत्ति कार्ड बनाने की योजना हे, जिसके माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीणों और ग्राम पंचायत को अनेक फायदें होगे।

एक नजरः-

ग्रावासियों  को होने वाले लाभ

ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख निर्माण होगा। प्रत्येक संपत्ति धारक को उसके संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। संपत्तियों पर बैंक से ऋण लेना आसान होगा। पारिवारिक संपत्तियों के विवाद में कमी आएगी।

पंचायत हो होने वाले लाभ

संपत्ति शुल्क के रूप में पंचायत को स्थानीय आय का साधन मिलेगा। पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधाए होगी। शासकीय एवं सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा एवं रखरखाव आसान होंगे। संपत्ति के नामांकरण एवं बंटवारा का प्रत्यक्ष अधिकार भी मिलेगा।

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