धरती से 35 प्रकाशवर्ष दूर स्थित चट्टानी ग्रह पर पानी से वैज्ञानिकों को जगी जीवन की उम्मीद

धरती से 35 प्रकाशवर्ष दूर स्थित एक चट्टानी ग्रह पर पानी से वैज्ञानिकों को जीवन की उम्मीद जगी है। नई रिसर्च में बताया गया है कि Volans तारामंडल में मिला ग्रह अपने सितारे से इतना दूर है कि तापमान पर्याप्त रह सकता है और पानी सतह पर बह सकता है। इस सिस्टम में एक और ग्रह भी है जिसकी खोज अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के TESS (ट्रांजिटिंग एग्जोप्लैनेट सर्वे सैटलाइट) ने की है। जीवन को कर सकता है सपॉर्ट डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक यह L 98-59 सिस्टम धरती और शुक्र के अलावा पहला ऐसा माना जा रहा है जो अपने सितारे से इतनी दूरी पर है कि यहां जीवन मुमकिन हो सकता है। दरअसल, तापमान की वजह से यहां पानी सतह पर मौजूद हो सकता है। मैड्रिड के सेंटर फॉर ऐस्ट्रोबायॉलजी की प्रफेसर मारिया ओसोरियो का कहना है कि इस जोन में मौजूद ग्रहों का वायुमंडल जीवन को सपॉर्ट कर सकता है और सुरक्षा भी दे सकता है।
पहले तीन और अंदरूनी ग्रहों की खोज की जा चुकी है। दो सूखे हैं जबकि एक पर 30% पानी है लेकिन इस पर पानी ज्यादा गर्म है। यह स्टडी चिली के यूरोपियन स्पेस ऑब्जर्वेटरी के वेरी लार्ज टेलिस्कोप (VLT) से मिले डेटा के आधार पर की गई है। इसमें पाया गया है कि धरती, शुक्र, बुध और मंगल जैसे ग्रह की तरह ये एग्जोप्लैनेट भी दिखते हैं। टीम ने दोनों सितारों के द्रव्यमान, उनकी चमक और सिस्टम के हिसाब से ग्रहों की पोजिशन के आधार पर तय किया कि इनके ग्रहों पर जीवन कितना मुमकिन है। यहां यह देखा गया कि कहां पानी की कितनी संभावना है। Kepler-38 सिस्टम में एक धरती जैसा सितारा है और एक छोटा सितारा भी। यह धरती से 3970 प्रकाशवर्ष दूर है और बड़े सितारे का चक्कर लगाता हुआ वरुण के आकार का एक ग्रह भी मिला है।
रिसर्चर्स ने Kepler Mission पर मिले 9 सिस्टम्स के सितारों और ग्रहों के रहने लायक क्षेत्रों पर होने वाले असर को स्टडी किया है। इनमें से जिन सिस्टम्स को उन्होंने चुना, उनमें एक वरुण के आकार का ग्रह है। इसके लिए Kepler 34, 35, 38, 64 औ 413 को चुना गया। इनमें से 38 के धरती जैसा होने की संभावना मानी गई है। इसके एक सितारे का द्रव्यमान सूरज का 95% है और छोटे सितारे का द्रव्यमान सूरज का 25% है। यह Lyra तारामंडल में है। अभी तक एक ग्रह को इसका चक्कर काटते देखा गया है लेकिन उम्मीद है कि ऐसे और भी ग्रह होंगे।
इन सभी सिस्टम्स में ऐसा जीवन लायक क्षेत्र है जहां सितारों के गुरुत्वाकर्षण का नकारात्मक असर नहीं होगा। Kepler-64 में दो सितारों की चार हैं लेकिन फिर भी यहां चट्टानी ग्रह पर जीवन की संभावना है। सूरज के इर्द-गिर्द धरती की कक्षा अंडाकार है जिससे हमें रेडिएशन लगभग एक समान मिलता है लेकिन यह ऐसे ग्रहों के लिए नहीं है जहां दो सूरज हों। यहां दोनों से रेडिएशन और गुरुत्वाकर्षण का असर पड़ता है।
माना जा रहा है कि तीनों ग्रहों पर अंदर या वायुमंडल में पानी हो सकता है जबकि चौथे की सतह पर पानी की संभावना है। इस स्टडी में यह भी पाया गया है कि सबसे अंदर के ग्रह का द्रव्यमान शुक्र का आधा है और रेडियल वेलॉसिटी तकनीक से नापा गया सबसे हल्का ग्रह है। इसका द्रव्यमान सितारे की हलचल के आधार पर कैलकुलेट किया गया। यह इसके चक्कर काटने वाले ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण की वजह से होता है और दूसरे सितारों से निकलने वाली रोशनी में अंतर के आधार पर इसे कैलकुलेट किया जाता है।

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