जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी पद OBC नहीं:पिछले चुनाव में 7 सीटें थी आरक्षित,बघेल बोले – आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी
छत्तीसगढ़ में 50 फीसदी OBC आरक्षण के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए एक भी पद OBC को नहीं मिला। प्रदेश में नगरीय निकायों के बाद त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण तय किए गए हैं। रायपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार अनारक्षित हो गया है। वहीं, धमतरी, महासमुंद, कबीरधाम, मुंगेली, में सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण भी अनारक्षित हुआ है। प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष की एक भी सीट OBC आरक्षित नहीं हुई है। जबकि पिछले चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष के 7 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए थे। प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों के अलावा पंच-सरपंच, जनपद पंचायत सदस्यों के साथ ही अध्यक्ष पदों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। 50% ओबीसी आरक्षण दावा करने सरकार का चेहरा आया सामने – बघेल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में कहा कि ओबीसी को जिला पंचायतों में जीरो आरक्षण मिला है।पिछली बार 27 जिलों में 7 जिलों में ओबीसी सीटें आरक्षित थीं।अभी लॉटरी में ओबीसी के लिए कोई स्थान नहीं है। बघेल ने कहा कि ओबीसी वर्ग के साथ साय सरकार अन्याय कर रही है।आरक्षण का चयन दुर्भाग्यजनक स्थिति से प्रदेश में हुआ है।बीजेपी मुंह छुपाने के लिए आधी सीट ओबीसी को देने की बात कह रही है। उन्होंने कहा किभाजपा का ओबीसी विरोधी चेहरा सामने आया है। इस मामले में उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए भी लिखा है। आखिर वही हुआ जिसकी आशंका मैंने व्यक्त की थी। पूरे प्रदेश में एक भी ज़िले में अब पिछड़े वर्ग के ज़िला पंचायत अध्यक्ष के लिए पद आरक्षित नहीं होगा। जिस प्रदेश में लगभग पचास प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है वहां उनको कोई आरक्षण न देना भाजपा की सोच ही हो सकती थी। इस सूची को रद्द कर नई संशोधित सूची जारी करनी चाहिए। आरक्षण से छेड़छाड़ कर पिछड़े वर्ग का अधिकार छिना गया पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी लिस्ट की तस्वीर X पर पोस्ट करते हुए लिखा है। छत्तीसगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के चुनाव के लिए जारी हुई आरक्षण सूची देख कर बहुत दुख हुआ कि इस बार ओबीसी वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं है। पिछले चुनाव में 7 सीटें ओबीसी समुदाय से आने वाले प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित थीं। ये पूरे समुदाय के साथ नाइंसाफी है। आरक्षण सिर्फ 16 सीटों पर अनुसूचित जनजातियों को दिया गया है जो 33 सीटों के 50% से भी कम है। आरक्षण के साथ इस तरह की छेड़-छाड़ पिछड़े वर्ग से उनका अधिकार छीनने का षड़यंत्र है। सरकार से अपेक्षा है कि उचित भागीदारी निश्चित करे और इन पदों पर कैबिनेट से पारित कर कम से कम पहले के जैसे 75% आरक्षण तय करे।