अवैध प्लाटिंग रोकने का जिम्मा निगम:राजस्व और पंजीयन विभाग का, ये उलझे लेटरबाजी में

राजधानी और आउटर में अवैध प्लाटिंग लगातार कार्रवाई के बाद भी नहीं रूक रही है। दो साल में 600 अलग-अलग जगहों पर अवैध प्लाटिंग का खुलासा खुद प्रशासन ने किया और कहीं बुलडोजर भी चलाए। लेकिन ज्यादातर जगहों पर कालोनियां बसने की वजह से तोड़फोड़ नहीं की जा सकी और शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ। अवैध प्लाटिंग रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम, राजस्व और पंजीयन विभाग की है। इन तीनों एजेंसियों के दफ्तरों की भौतिक दूरी दो किमी से भी कम है। इसके बाद भी जब तक इनके बीच लेटरबाजी नहीं होती तब तक अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं की जाती। राजस्व विभाग भी रजिस्ट्री करते समय ये जांच नहीं करता कि प्लाटिंग डायवर्टेड जमीन पर हो रही है या नहीं। लेट आउट पास किया गया है या नहीं? इसकी जांच के लिए निगम की चिट्‌ठी का इंतजार किया जाता है। यही वजह है कि अवैध प्लाटिंग बंद नहीं हो रही है। भास्कर ने पिछले एक साल के दौरान इन विभागों के बीच हुए पत्राचार की पड़ताल की। पता चला कि तीनों विभागों के बीच लगभग 30 से ज्यादा बार लेटरबाजी हुई है। किसको क्या नुकसान आम लोगों को : अवैध कालोनी में सड़क, नाली, बिजली की सुविधा नहीं मिलती। ले आउट पास नहीं होने के कारण नगर निगम से नक्शा स्वीकृत नहीं होता। इसलिए बैंक लोन नहीं देता।
सरकार को : लेआउट पास कराने से टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को शुल्क मिलता है। सरकार को जीएसटी निगम को विकास शुल्क मिलता है। सरकार को राजस्व का नुकसान होता है।
बिल्डर को : वैध कालोनी बनाने वाले कालोनाइजर के प्लाट महंगे होते हैं। प्लाट कम बिकने के कारण उन्हें नुकसान होता है। इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर भी पड़ता है।

खेतों के बीचोबीच अभी भी अवैध प्लाटिंग : दो साल में 600 जगहों पर अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई के बाद भी पुराना धमतरी रोड पर स्थित बोरियाखुर्द और डुंडा में छोटे छोटे पैच पर प्लाटिंग चल रही है। इसी के आगे गोकुल नगर में तीन-चार नामों से नगर बसाए जा रहे हैं। बोरियाखुर्द के अंतिम छोर में करीब आधा एकड़ के पैच में प्लाटिंग दिखी। यहां आजू बाजू खेत दिखे। आस-पास खड़े कुछ लोगों ने बताया कि 700 रुपए वर्गफुट में यहां प्लाट बिक रहे हैं। कीमत इलाके के हिसाब से सस्ती है, इसलिए लोग खरीद रहे हैं। जमीन की स्थिति से साफ नजर आ रहा था कि ये कृषि जमीन है। इसी तरह कचना, सड्‌डू, दलदल सिवनी, अमलीडीह, भाठागांव, मठपुरैना, चंगोरा, रायपुरा में निवेश के लिए जमीन खरीदने ब्रोकर से संपर्क किया गया। उन्होंने बिना डायवर्सन और लेआउट वाले प्लाट 600 रुपए वर्गफीट में उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। जिम्मेदार विभाग नगर निगम ^ अवैध प्लाटिंग की जानकारी मिलने पर तहसीलदार को पत्र लिखते हैं। जमीन का खसरा, सीमांकन-बटांकन की जानकारी मिलने के बाद पंजीयक को खसरा ब्लॉक करने पत्र लिखते हैं।
– अबिनाश मिश्रा, कमिश्नर नगर निगम रायपुर राजस्व ^ अवैध प्लाटिंग के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर ने सभी को निर्देशित किया है कि सभी तहसीलदार अपने-अपने क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग रोके।
– नंद कुमार चौबे, एसडीएम रायपुर पंजीयन ^ अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए हमारे पास कलेक्टर से पत्र आता है कि इन-इन खसरों को ब्लॉक किया जाए। इन पर रजिस्ट्री नहीं होनी चाहिए। हम उस खसरे की रजिस्ट्री नहीं करते।
– बिनोज कोचे, पंजीयक

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