राजनांदगांव में भाजपा जिलाध्यक्ष पर सस्पेंस:सौरभ कोठारी और कोमल सिंह राजपूत में कड़ी टक्कर, जैन समाज ने भी किया दावा
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर पेंच फंसा हुआ है। पार्टी ने प्रदेश के 34 जिलों में अध्यक्षों की घोषणा कर दी है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के क्षेत्र में यह निर्णय अभी तक लटका हुआ है। यहां मुख्य रूप से दो प्रमुख दावेदार सामने हैं – सौरभ कोठारी और कोमल सिंह राजपूत। जहां कोमल सिंह को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष सचिन बघेल का समर्थन प्राप्त है, वहीं सौरभ कोठारी के पक्ष में जिले के अधिकांश नेता खड़े हैं। मारवाड़ी जैन समाज ने की जिला अध्यक्ष बनाने की मांग इस बीच, मारवाड़ी जैन समाज ने भी अपने समुदाय से जिला अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई है। खास बात यह है कि भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी खूबचंद पारख और सह संयोजक मधुसूदन यादव राजनांदगांव से ही हैं, फिर भी नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है। कोमल सिंह राजपूत के पक्ष में उनका लंबा संगठनात्मक अनुभव है। वे कैम्प कार्यालय से लेकर मंडी बोर्ड तक में सराहनीय कार्य कर चुके हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह दोनों ही उम्मीदवारों के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं, क्योंकि दोनों ही उनके करीबी माने जाते हैं। स्थिति ऐसी बन गई है कि यह चुनाव संगठन बनाम सचिन बघेल का मुद्दा बन गया है। संगठन को जल्द ही इस पर निर्णय लेना होगा ताकि पार्टी की गतिविधियां प्रभावित न हों। इधर, महामंत्री भरत वर्मा जैसे प्रमुख नेताओं का झुकाव भी सौरभ कोठारी के प्रति दिखता नजर आ रहा है। 2018 विधानसभा चुनाव में सौरभ कोठारी ने लोहारा में बीजेपी को दिलाई थी जीत सौरभ कोठारी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रभार क्षेत्र लोहारा में भाजपा को जीत दर्ज कराई थी। उसका खामियाजा सौरभ को सरकार बदलने के बाद पूरे पांच साल भुगतना पड़ा था और उनके तमाम व्यवसाय में मोहम्मद अकबर की कुदृष्टि भी पड़ गई थी। इस लिहाज़ से भी संगठन सौरभ को जिला अध्यक्ष के पद से नवाज सकती है। वहीं प्रदेश में मारवाड़ी जैन समाज से अभी तक कहीं भी भाजपा जिला अध्यक्ष नहीं बना है। इसको ध्यान में रखकर भाजपा सौरभ कोठारी को जिला अध्यक्ष बनाकर जैन समाज को साधने का भी कार्य कर सकती है। सौरभ कोठारी को विगत पांच साल में कांग्रेस सरकार में डॉ रमन सिंह और अभिषेक सिंह के क़रीबी होने का व्यापारिक एवं राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा था। स्थिति यह थी कि कोर्ट से जमानत के बाद उनको भूपेश बघेल सरकार में राहत मिल पाई थी।