बिलासपुर में मेयर पद OBC के लिए आरक्षित:भाजपा में MLA अमर की पसंद का होगा कैंडिडेट, कांग्रेस के बागी बिगाड़ सकते हैं राजनीतिक समीकरण
बिलासपुर नगर निगम में महापौर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित हो गया है। इसके साथ ही अब दावेदारी करने वाले नेताओं की लंबी सूची भी आने लगी है। हालांकि, भाजपा में विधायक अमर अग्रवाल की पसंद और करीबी को ही टिकट मिलेगी। वहीं, कांग्रेस में दावेदारों की फौज है। ऐसे में अगर कांग्रेस से महापौर बनने के लिए नेता बागी हुए तो राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है। सोमवार को बिलासपुर सहित प्रदेश के सभी 14 नगर निगमों के महापौर पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई। मेयर का पद ओबीसी के लिए आरक्षित होने के बाद अब दूसरे वर्ग के नेताओं की दावेदारी की संभावनाएं खत्म हो गई है। लेकिन, इससे पिछड़े वर्ग के नेताओं के चेहरे जरूर खिल गए हैं। भाजपा के साथ ही कांग्रेस के नेता पिछड़ा वर्ग के संभावित उम्मीदवारों को बधाई भी देते रहे। भाजपा में विधायक अमर की पसंद
बिलासपुर संभाग ही नहीं बल्कि, प्रदेश में अमर अग्रवाल कद्दावर नेता माने जाते हैं। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में संगठन ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी थी। उनकी पसंद पर ही लोकसभा का प्रत्याशी भी तय किया गया था। पिछले दिनों हुए भाजपा के संगठन चुनाव में शहर के सभी मंडल में उनके करीबियों को ही जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, दीपक सिंह को जिला भाजपा शहर अध्यक्ष बनाकर उन्होंने संगठन में अपना दबदबा कायम रखा है। ऐसे में अब नगर निगम चुनाव में उनकी पसंद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह भी तय है कि मेयर पद के प्रत्याशी के लिए भी विधायक अमर अग्रवाल के करीबी को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा। ऐसे में अब देखना होगा कि अमर अग्रवाल पिछड़ा वर्ग से अपने किस करीबी को मौका देते हैं। कांग्रेस में भी है दर्जनों दावेदार, बागी हुए तो होगा नुकसान
इधर, कांग्रेस में भी ओबीसी नेताओं की फौज है। मेयर का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद पार्षद से लेकर पूर्व महापौर, सभापति रह चुके नेताओं की उम्मीद जगी है। सभी अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। कांग्रेस में कैंडिडेट तय होने के बाद बगावती सुर भी देखने को मिलता रहा है। अगर ऐसा हुआ तो चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। नए चेहरों को मौका मिला तो पुराने को खतरा
मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के साथ ही नेता, पूर्व पार्षद, महापौर के साथ ही नए नवेले सामाजिक नेता भी चुनाव लड़ने के लिए सक्रिय हो एग हैं। कई ऐसे पार्षद जो सभापति, नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। लेकिन, इस बार आरक्षण के चलते पार्षद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे वो अपनी पत्नी को महापौर का प्रत्याशी बनाने के लिए एड़ी-चोटी लगा रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि अगर भाजपा-कांग्रेस से पुराने नेताओं के बजाए नए चेहरों को प्रत्याशी बनाती है तो पिछड़ा वर्ग के पुराने नेताओं की राजनीति ही खत्म होने का खतरा है। अमर बोले- प्रत्याशी कोई भी रहे भाजपा की जीत पक्की है
भाजपा नेता और शहर विधायक अमर अग्रवाल ने कहा कि भाजपा का मूलमंत्र है सबका साथ सबका विकास। भाजपा ऐसी पार्टी है जिसमें सभी वर्गों के अच्छे कार्यकर्ता हमारे पास हैं। पिछड़ा वर्ग से में भी बहुत से कार्यकर्ता हैं। सभी से रायशुमारी करने के साथ ही जनता के बीच में आंकलन करके प्रदेश नेतृत्व को बताएंगे। प्रदेश नेतृत्व तय करेगा कि किसे प्रत्याशी बनाया जाए। प्रत्याशी चाहे कोई भी रहे, सभी मिलकर काम करेंगे। यह भी तय है कि इस चुनाव में भाजपा का ही मेयर बनेगा। भाजपा को हार का डर सता रही है
इधर, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी का कहना है कि भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में हार का डर सता रही है। यही वजह है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी समय पर चुनाव नहीं करा रही है। छह महीने का कार्यकाल खत्म होने के बाद आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की गई है। वहीं, मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर रही है। हमारी मांग है कि संविधान के अनुसार चुनाव कराया जाए। कांग्रेस पार्टी सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से रायशुमारी तय कर मजबूत नेता को प्रत्याशी बनाएगी। प्रत्याशी का निर्णय प्रदेश कांग्रेस कमेटी तय करेगी, जिला स्तर पर फीडबेक दी जाएगी। कांग्रेस पार्टी के ओबीसी वर्ग का हर नेता चुनाव लड़ सकता है और प्रत्याशी बन सकता है।