शिकायत के 23 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं की

भास्कर न्यूज | रामानुजनगर रामानुजनगर क्षेत्र के छिंदिया धान उपार्जन केंद्र में बीते साल से कुछ किसानों के नाम फर्जी पंजीयन कराकर उन खातों में हजारों क्विंटल धान बिक्री किए जाने की शिकायत स्थानीय ग्रामीणों ने की थी। शिकायत पर कलेक्टर के निर्देश के बाद जांच तो शुरू हुई, लेकिन जांच अधिकारियों के मामले में लीपापोती किए जाने की बात सामने आ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत के 23 दिन बीतने के बाद भी अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। वहीं, मामले में अधिकारी बता रहे हैं कि जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बीते 20 दिसंबर को कलेक्टर को सौंपे गए शिकायत पत्र में बताया गया था कि आदिम जाति सेवा सहकारी समिति छिंदिया में धान खरीदी में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। आदिवासी किसानों के नाम से पंजीयन कराकर उनका बैंक पासबुक व एटीएम कार्ड बनवाकर बिचौलिए द्वारा धान बेचा जाता है और एटीएम कार्ड से राशि आहरित कर ली जाती है। जबकि किसानों को बिचौलिए के इस हरकत की जानकारी भी नहीं होती। शिकायत पत्र में बताया गया है कि इस बड़ी गड़बड़ी को अंजाम देने वाला बिचौलिया कोई और नहीं बल्कि उसी सोसायटी में भृत्य के पद पर कार्यरत कर्मचारी है। शिकायत में इतनी स्पष्टता के बावजूद जांच टीम ने अब तक जांच पूरी नहीं की, जिससे अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। तहसीलदार के नेतृत्व में टीम मामले की जांच कर रही धान खरीदी केंद्र में हो रही गड़बड़ी की जांच का जिम्मा स्थानीय तहसीलदार को सौंपा गया है। तहसीलदार के नेतृत्व में जांच टीम 18-20 दिन से जांच कर रही है। शिकायत में बताया गया कि 21 ऐसे किसान हैं, जिनकी वास्तविक भूमि कम है, लेकिन दूसरे किसानों के रकबे को जोड़कर रकबा बढ़ा दिया गया है और उन खातों में बिचौलिए द्वारा धान बेचा जाता है। खासबात यह है कि धान बेचने के लिए किसानों के खातों का पंजीयन तहसीलदार के आईडी से ही किया जाता है। फूड इंस्पेक्टर के छुट्टी पर जाने के कारण जांच लंबित रामानुजनगर तहसीलदार सूर्यकांत साय ने कहा कि मामले की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। फूड इंस्पेक्टर के छुट्टी में जाने से जांच लंबित है। जांच रिपोर्ट पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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