दुर्ग-विशाखापट्नम वंदे भारत को नहीं मिले यात्री:नई ट्रेन में 16 कोच होने की वजह से 70 फीसदी सीटें रोज खाली
दुर्ग-विशाखापट्नम वंदे भारत एक्सप्रेस को यात्री ही नहीं मिल रहे हैं। 16 कोच वाली इस ट्रेन में रोजाना 70 प्रतिशत सीटें खाली रह जा रही हैं। केवल 30 फीसदी सीटें भरने की वजह से रेलवे को रोज बड़ा नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि अब 16 कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अब 8 कोच के साथ ही चलेगी। इसके लिए रेलवे ने आदेश भी जारी कर दिया है। रेलवे अफसरों के अनुसार एक माह पहले ही कोच कम करने का प्रस्ताव बोर्ड को भेजा गया था। इसके बाद ही यह फैसला लिया गया। वंदे भारत के कोच को अलग नहीं किया जा सकता है इसलिए रेलवे बोर्ड 8 कोच का नया रैक भेजेगा। नया कोच आने के बाग 16 कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को वापस भेज दिया जाएगा। अफसरों का मानना है कि 8 कोच होने के बाद वंदे भारत एक्सप्रेस को पर्याप्त संख्या में यात्री मिलने लगेंगे। अभी 16 कोच वाली बंदे भारत में दो एग्जीक्यूटिव क्लास और 14 चेयर कार कोच हैं। इसमें कुल 1128 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। लेकिन इस ट्रेन को लेकर यात्रियों में कोई खासा उत्साह नजर नहीं आ रहा है। इसकी बड़ी वजह महंगा किराया है। इस वजह से इस ट्रेन को रायपुर और विशाखापट्नम दोनों ओर से यात्री नहीं मिल रहे हैं। दूसरी ट्रेनों में वेटिंग फिर भी नहीं जा रहे रायपुर से विशाखापट्टनम के लिए एक दिन में वंदे भारत सहित आधा दर्जन से अधिक नियमित एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। इनमें समता एक्सप्रेस में एसी व स्लीपर में वेटिंग है। इसके अलावा बाकी ट्रेनों में भी रोज वेटिंग मिलती हैं। जबकि रायपुर-विशाखापट्टनम वंदे भारत एसी थर्ड में रोजाना सीटें खाली रहती हैं। दूसरी ट्रेनों में वेटिंग मिलने के बावजूद लोग वंदे भारत की टिकट नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि बाकी ट्रेनों में सस्ती टिकट मिलती है। इसलिए दुर्ग से शुरू की गई थी ट्रेन इस ट्रेन को दुर्ग से शुरू करने की वजह बताई जा रही है कि दुर्ग में कोचिंग यार्ड है। इस वजह से ट्रेन की सफाई और रखरखाव में परेशानी नहीं होती है। इससे पहले बिलासपुर- नागपुर वंदे भारत के कोच को भी 16 घटाकर आठ किया गया था। इस फैसले के बाद से ही रेलवे को नुकसान होना कम हो गया था। यही वजह है कि अब विशाखापट्टनम वंदे भारत में भी कोच कम करने का फैसला ले लिया गया है।