पंडरिया क्षेत्र के 110 बैगा बसाहटों को मिलेगा पर्यावास का अधिकार

भास्कर न्यूज | कुकदूर पंडरिया तहसील क्षेत्र के 110 बैगा बसाहटों को पर्यावास का अधिकार (हैबीटेट राइट्स) मिलेगा। पर्यावास अधिकार मिलने से बैगा जनजाति न केवल जल, जंगल और जमीन का संरक्षण करने में सक्षम होंगे। बल्कि अपनी खेती, औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए स्वतंत्र होंगे। वहीं वे अपने पारंपरिक आजीविका, रीति-रिवाजों को संरक्षित कर पाएंगे। बैगाओं को पर्यावास का अधिकार देने प्रक्रिया चल रही है। इसी कड़ी में ग्राम पोलमी में बुधवार को परामर्शदात्री परिचर्चा और प्रशिक्षण हुआ। इस दौरान जिला वन अधिकार समिति सदस्य व आदिम जाति विभाग के सहायक आयुक्त स्वर्णिम शुक्ला और 110 बैगा बसाहटों से आए लगभग 500 बैगाओं के बीच उनके पारंपरिक अधिकारों, पारंपरिक सीमा निर्धारण आदि विषय पर संवाद हुआ। इस परिचर्चा में छत्तीसगढ़ आदिम जनजाति संचालनालय के एफआरए सेल के राजेश कुमार, बैगा समाज के प्रदेशाध्यक्ष इतवारी मछिया और पर्यावास अधिकार प्रक्रिया में सहयोगी भूमिका निभाती स्वयं सेवी संस्थाओं ने हिस्सा लिया। पर्यावास का अधिकार के बारे में बताया। पर्यावास अधिकार मिलने से ये प्रमुख होंगे फायदे बैगा समाज के प्रदेशाध्यक्ष ईतवारी मछिया ने बताया कि हैबीटेट राइट यानी पर्यावास अधिकार मिलने से बैगा जनजाति को उनकी पारंपरिक आजीविका स्त्रोत और पारिस्थितिकीय ज्ञान को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। शासकीय योजनाओं और विकास कार्यक्रम के जरिए भी इनका जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलेगी। क्योंकि अभी जमीन का मालिकाना हक न मिलने से आवास, सड़क जैसी कई सुविधाओं से वंचित रह जाते थे। लेकिन अब पर्यावास का अधिकारी मिलने के बाद अपनी परंपरा को सहेज सकेंगे। पंडरिया जनपद पंचायत में दस्तावेज के लिए दी ट्रेनिंग जन संवाद के बाद पंडरिया जनपद पंचायत के सभागार में पर्यावास अधिकार दावा प्रक्रिया से संबंधित वन, राजस्व, पंचायती राज और आदिवासी विभागों के संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। वन और राजस्व विभाग स्थल निरीक्षण करने में सरकारी दस्तावेज जैसे की कंपार्टमेंट व खसरा नंबर उपलब्ध कराने में और ग्राम सचिवों से ग्राम सभा के निर्णयों पंजीबद्ध इत्यादि उनकी भूमिका के संबंध में बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि पर्यावास अधिकार के लिए क्या-क्या जरूरी है।

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