TRUMP की AMERICA FIRST पॉलिसी से भारत पर कितना असर

ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से भारत पर क्या असर पड़ेगा, जानते हैं 5 पॉइंट्स में…

1. भारत के निर्यात पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं ट्रम्प

ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने का असर भारत के निर्यात पर देखने को मिल सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि ट्रम्प भारत को टैरिफ किंग यानी अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश बताते रहे हैं।

ट्रम्प ने 17 सितंबर को चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बहुत सख्त है। अगर मेरी सरकार आती है तो इस स्थिति को बदलेंगे और भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने का दबाव बनाएंगे।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम नहीं करता है तो ट्रम्प भी भारतीय सामानों पर लगा टैरिफ बढ़ा सकते हैं। इसकी वजह से अमेरिका में भारतीय सामान मंहगे हो सकते हैं। इसका सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ेगा।

दोनों देशों के बीच पिछले साल यानी 2023-24 में 128.78 बिलियन डॉलर यानी करीब 10 लाख करोड़ का कारोबार हुआ। इस दौरान भारत ने अमेरिका को 77.52 बिलियन यानी 6 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया था।

2. नौकरी के लिए H1B वीजा प्रोसेस मुश्किल हो सकती है

ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में H1-B वीजा के नियम बदले थे। नए नियमों में विदेशी कर्मचारियों के लिए तो सैलरी तो अमेरिकी कर्मचारियों के बराबर रखी, लेकिन प्रवासी कामगारों पर कई शर्तें भी लगा दीं। इसके चलते ट्रम्प के पहले कार्यकाल में H1-B वीजा एप्लीकेशन को नकारने की दर बढ़ गई थी। नियमों के चलते वीजा प्रॉसेस पूरी होने का टाइम भी बढ़ गया था।

2023 में कुल 3.86 लाख प्रवासियों को H1-B वीजा दिया जिसमें 2.79 लाख भारतीय थे। अब ट्रम्प वापस लौटे हैं, जो पहले ही H1-B वीजा को अमेरिकी वर्कफोर्स के लिए बेहद खराब बता चुके हैं। ट्रम्प दोबारा ऐसे नियम और शर्तें लागू करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय IT सेक्टर्स, फाइनेंस और दूसरे प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा, जो कि अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B वीजा पर निर्भर हैं।

अभी अमेरिका में करीब 51 लाख भारतीय प्रवासी हैं। अमेरिका में सभी प्रवासियों कामगारों में भारतीय वर्कर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। 2021 में यहां कुल प्रवासी भारतीयों में 16 साल और उससे ऊपर आयु के 72% लोग काम कर रहे थे।

दूसरी तरफ ट्रम्प का अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले अप्रवासियों के खिलाफ भी सख्त रवैया रहा है। पिछले साल 29 लाख लोगों को अवैध तरीके बॉर्डर पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनमें 90,415 भारतीय थे।

3. मिलिट्री और सिक्योरिटी

इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) और GE-HL जैसी डिफेंस डील ने भारत और अमेरिका के सैन्य संबंधों को मजबूत किया है। ये डील्स बाइडेन के कार्यकाल में हुई थीं। उम्मीद है कि ट्रम्प की वापसी के बाद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और बेहतर हो सकते हैं।

चीन बड़ी वजह: चीन के प्रभाव को रोकने के लिए ट्रम्प के पिछले टर्म में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के बीच QUAD गठबंधन मजबूत हुआ था। चीन को रोकने के लिए ही भारत के साथ अमेरिकी सैन्य समझौतों का ये सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। उम्मीद है कि ट्रम्प के अगले कार्यकाल में हथियारों की खरीद, तकनीक का ट्रांसफर और जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज में तेजी आ सकती है।

4. पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश

पाकिस्तान को लेकर ट्रम्प ने कहा था कि हम उनके साथ संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन ट्रम्प ने साफ कहा था कि आतंकवाद को लेकर उसे जवाबदेही तय करनी होगी। चुनाव प्रचार में भी ट्रम्प ने कहा था- हम दुनिया में ताकत के जरिए शांति लाएंगे। ट्रम्प का ये स्टेटमेंट कट्टरपंथ और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के लिए पॉजिटिव संदेश है।

कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने पर ट्रम्प ने इस मामले में दखल से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है। वहीं दूसरी तरफ, कमला हैरिस ने कहा था कि “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर हालात बदले, तो दखल देने की जरूरत पड़ेगी।”

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए अत्याचार की ट्रम्प ने निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में हिंदू, क्रिश्चियन और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हिंसा हो रही है। उन पर हमले हो रहे हैं, उन्हें लूटा जा रहा है। मैं इसकी निंदा करता हूं।

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